India China Defence – चीन असम में तेजपुर एयरबेस और ओडिशा तट से दूर भारत के मिसाइल परीक्षण केंद्र डॉ अब्दुल कलाम द्वीप की कड़ी निगरानी कर रहा है। ये दोनों ही स्थान भारत की सामरिक और सैन्य क्षमताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

हमारी टीम ने उपग्रह चित्रों का विश्लेषण किया, जो बताता है कि चीन म्यांमार की सीमा में स्थित अपने युन्नान प्रांत के रुइली काउंटी से भारत के इन महत्वपूर्ण स्थानों पर कैसे नज़र रख रहा है। चीन के रडार और निगरानी सुविधा से संकेत मिलता है कि चीन भारत की ओर निर्देशित अपनी बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए म्यांमार के अंतरिक्ष का उपयोग करने में की सोच रहा है।
डॉ अब्दुल कलाम द्वीप, जिसे पहले व्हीलर द्वीप के रूप में जाना जाता था, भारत का प्रमुख मिसाइल परीक्षण केंद्र है।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर इस द्वीप का नाम रखा गया है। इसमें भारत की प्रमुख एकीकृत मिसाइल परीक्षण रेंज की सुविधा है जहां भारत ने 2018 में परमाणु सक्षम लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि IV और कम दूरी की परमाणु सक्षम बैलिस्टिक अग्नि I का परीक्षण किया था।
तेजपुर हवाई अड्डा जिसे सलोनीबारी हवाई अड्डा भी कहा जाता है, नागरिक और सैन्य उपयोग दोनों के लिए एक दोहरे उपयोग वाला एयरबेस है। यहाँ भारतीय वायुसेना के सुखोई लड़ाकू विमान, Su-30MKI जैसे फ़ाइटर जेट हैं। यह वायुसेना के नंबर 2 स्क्वाड्रन और नंबर 106 स्क्वाड्रन का बेस है।
IAF ने हाल ही में कहा था कि तेजपुर Airbase सीमा पार से मिलने वाली किसी भी चुनौती के लिए तैयार है, चीन की सीमा यहाँ से लगभग 170 किमी दूर है।
चीन का न्यू राडार स्टेशन
चीन अपनी सीमा पर मार्च 2018 में यहाँ एक नया रडार स्टेशन स्थापित किया था, यह 2017 में 73 दिनों तक चलने वाले भारत-चीन-भूटान त्रिभुज पर भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच डोकलाम गतिरोध के बाद स्थापित किया गया था।
रडार को म्यांमार सीमा से केवल 3 किमी की दूरी पर तैनात किया गया है, यह दर्शाता है कि चीन अपनी सीमा का अधिकतम लाभ प्राप्त करना चाहता है।
उपग्रह से मिली images में स्पष्ट रूप से 13 मीटर चौडे एक रडार को देखा जा सकता है। संभवतः यह एक चरणबद्ध सरणी रडार है जो कि डॉ अब्दुल कलाम द्वीप की ओर निर्देशित किया गया है। इस रडार साइट से द्वीप की दूरी 1150 किमी है।
नवीनतम उपग्रह इमेजरी से पता चलता है कि इसके साथ लगे रडार को 575 किमी दूर तेजपुर में भारतीय वायु सेना के प्रमुख एयरबेस की ओर निर्देशित किया गया है, यह दर्शाता है कि विमान की पहचान और निगरानी में इसकी भी भूमिका है।
यह रडार समान है, हालांकि यह टाइप 609 रडार से थोड़ा बड़ा है जिसे 2018 ज़ुहाई एयर शो में प्रदर्शित किया गया था।
इंस्टीट्यूट ऑफ चाइना इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी ग्रुप कॉरपोरेशन (CETC) द्वारा निर्मित टाइप-609 इंटेलिजेंस रडार सिस्टम को गुप्त विमान के साथ-साथ अंतरिक्ष सीमा से नीचे उड़ने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों का पता लगाने के लिए जाना जाता है।
इस नए रडार की ऊंचाई प्रोफ़ाइल इंगित करती है कि भारत में इन दो महत्वपूर्ण स्थानों से 2.5 किमी की ऊंचाई से ऊपर जाने वाली कोई भी चीज़ इस रडार द्वारा पहचान ली जाती है।
चीन का रडार परीक्षण :
मध्य चीन के गांसु प्रांत के गुआज़ो शहर के पास एक नए चरणबद्ध सरणी रडार का परीक्षण किया गया था।
उपग्रह की छवि स्पष्ट रूप से बताती है कि रडार चीन के मिसाइल और हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन WU-14 के परीक्षणों की निगरानी कर रहा था।
रडार स्थान ने चीन के मिसाइल सिस्टम के नियंत्रण और निगरानी में उपयोग किए जाने वाले कुछ डिश एंटीना को भी ट्रायल किया।
ताइयुआन स्पेस लॉन्च सेंटर से रडार की दूरी इंगित करती है कि इस रडार की रेंज संभवतः 1500 किमी के आसपास होगी।
मापन और नियंत्रण सुविधा
नवीनतम उपग्रह छवियों से यह भी संकेत मिलता है कि एक माप और नियंत्रण सुविधा रडार स्थान से लगभग 7 किमी दक्षिण में मौजूद है।
इस बेस पर सैटकॉम डिश और अन्य उपकरण हैं, जिनको देख कर लगता हैं कि चीनी बैलिस्टिक मिसाइलों को निर्देशित करने में इस सुविधा की संभावित भूमिका हो सकती है।
भारतीय वायुसेना और भारत के सामरिक बल कमान को युद्ध परिचालन योजना के दौरान इन ठिकानों को ध्यान में रखना होगा।