Dharkundi, Satna : सतना से 70 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच स्थित धारकुंडी में अध्यात्म और प्रकृति का अनुपम मिलन देखने को मिलता है। सतपुड़ा पठार की विंध्याचल पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित धारकुंडी का प्राकृतिक सौंदर्य और हरे भरे जंगल देख कर यहाँ से जाने का मन नही करता।
इसी घने जंगल के बीच स्थित है धारकुंडी का प्रसिध्द श्री परमहंस आश्रम जहाँ पर पर्वत की कंदराओं में महात्माओं के साधना स्थल, पहा़ड़ों के बीच से अनवरत बहती हुई जलधारा, दुर्लभ शैलचित्र, गहरी खाईयां हैं। पूज्यनीय श्री महाराज सच्चिदानंद जी ने परमहंस आश्रम के माध्यम से इस स्थल को पर्यटन और अध्यात्मिकता के सूत्र में पिरो दिया है। धारकुंडी के घने जंगलों में कई जीवाश्म और बहुमूल्य औषधियां भी मिलती हैं।

हिंदू धर्मग्रंथ महाकाव्य महाभारत के अनुसार युधिष्ठिर और दक्ष का संवाद यहाँ के ही कुंड में हुआ था, आज इस कुंड को अघमर्षण कुंड के नाम से जाना जाता है। यह कुंड श्री परमहंस आश्रम धारकुंडी के बीचों-बीच स्थित है। अघमर्षण कुंड भूतल से लगभग 100 मीटर नीचे है।
धारकुंडी नाम दो शब्दों “धार तथा कुंडी” से मिलकर बना है। जिसका मतलब होता है – ‘जल की धारा और जलकुंड’। विंध्याचल पर्वत शृंखला के 2 पहाड़ों के बीच से अविरल बहने वाली निर्मल जलधारा यहाँ पानी की कमी नही होने देती है, निरंतर बहने वाली इसी जलधारा की वजह से यहाँ पर जलकुंड बना है।
समुद्र तल से धारकुंडी की ऊँचाई 1050 फुट है। जनवरी में यहाँ का तापमान 2-3 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है, जबकि अधिकतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से ऊपर कभी नही गया। वही अगर गर्मी की बात करें तो जून के महीने में धारकुंडी का न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस तथा अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के बीच ही बना रहता है। घने जंगलों के बीच होने से धारकुंडी आश्रम में कभी भी गर्मी का एहसास नही होता है।
धारकुंडी आश्रम के योगिराज श्री स्वामी परमानंद परमहंस जी ने श्री सच्चिदानंद जी के सान्निध्य में चित्रकूट के अनुसूया आश्रम लगभग 11 वर्ष गहन साधना की थी। इसके बाद श्री स्वामी परमानंद परमहंस जी 1956 में धारकुंडी आए थे और यहाँ के घने जंगलों के बीच शेर के साथ एक गुफा में निवास करते थे। धीरे-धीरे उन्होंने आध्यात्मिक शक्ति के बल पर इस खूबसूरत प्राकृतिक स्थान में आध्यात्म और प्रकृति को एक करके सार्थक रूप दिया।
धारकुंडी आश्रम में भक्तों और पर्यटकों के लिए फ्री भोजन की सुविधा भी आश्रम की तरफ़ से ही दी जाती है। यहाँ हज़ारों भक्तगण प्रतिदिन मुफ़्त भोजन करते हैं। यहाँ बनाया जाने वाला भोजन श्री स्वामी परमानंद परमहंस जी महाराज के खेतों में उपजे अनाज और सब्ज़ी से ही बनता है।
आध्यात्मिक लोग और प्रकृति प्रेमी प्रतिदिन यहाँ आते हैं। सतना शहर से धारकुंडी के लिए सीधी बस सिर्फ़ 1 ही है। इसके अलावा अगर आप सतना से यहाँ आते हैं, तो पर्यटकों की मदद के लिए सतना बस स्टैंड के पास परमहंस आश्रम की शाखा भी है, जहाँ से यहाँ के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

परमहंस आश्रम, धारकुंडी आज बहुत प्रसिध्द है यहाँ पर योगीजनों का आवागमन होता रहता है।
दौड-भाग भरे इस व्यस्त जीवन के बीच अगर आप कुछ दिन निकाल कर यहां आते हैं, तो आपको यहाँ से जाने का मन नही करेगा। यहाँ अध्यात्म और शांति के साथ प्रकृति का अनूखा मिश्रण है। यहां आने से जीवन अध्यात्म और शांति की वजह से ठहर सा जाता है और मन को परम सुकून मिलता है।