Satna : सतना भारत के मध्यप्रदेश राज्य का एक ज़िला है, सतना एक बड़ा शहर भी है। इसकी आबादी लगभग 3,00,000 है। यह अपने सीमेंट फैक्टरियों और सीमेंट के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
सतना (Satna) वास्तव में मध्य प्रदेश राज्य (MP State) का सातवां सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। सतना में 70% की औसत साक्षरता दर है जो राष्ट्रीय औसत 59.5% से अधिक है। सतना के लोग आम तौर पर पैंट-शर्ट पहनते हैं, एक जैकेट जिसे स्थानीय रूप से भांडी, और एक सिर गियर कहा जाता है।
महिलाएं दुपट्टे या ओढनी के साथ लहंगा और चोली पहनती हैं। महिला लोक साड़ी भी पहने नजर आती हैं। मध्य प्रदेश के लोग रंगीन कपड़े पहनना पसंद करते हैं- लाल और नीला रंग ज्यादातर महिलाओं द्वारा पसंद किए जाते हैं।
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Satna
सतना मध्यप्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित है. सतना ज़िला आस पास कई जिलों से जुडा है. satna District उत्तर की तरफ़ UP से जुड़ी हुई है. सतना का रेल्वे स्टेशन बिहार और उत्तरप्रदेश से दक्षिण भारत की ओर जाने वाली Trains का मुख्य स्टेशन है. सतना अपनी Cement Industry की वजह से पूरे देश में जाना जाता है.
सतना जिला पहले के बघेलखंड नाम के क्षेत्र का एक हिस्सा है। बघेलखंड के एक बहुत बडे हिस्से पर पहले रीवा के संधि राज्य द्वारा शासित था। इसके अलावा सतना के पश्चिम की ओर का एक छोटा हिस्सा सामंती सरदारों के शासन का हिस्सा हुआ करता था।

ब्रिटिश शासकों ने सतना के लिए एक स्पेशल सनद बनाया था, जिसे अनुसार सतना के कुल 11 हिस्से थे। इन हिस्सों के नाम इस प्रकार थे – मैहर, भाईसुधा, कोठी, नागोद, जासो, पांच चौबे जागीर-पालदेव, कामता-राजुला, बारूंधा, पहारा, तारायण और सोहवाल।
सतना जिला (Satna District) मध्य भारत में मध्य प्रदेश राज्य का एक जिला है। सतना शहर (Satna City), पूरा जिला का मुख्यालय है। जिले का क्षेत्रफल 7502 वर्ग किमी है और यहाँ की कुल आबादी 22,28,935 (2011 की जनगणना के अनुसार) है। इसमें से 20.63% शहरी आबादी है। सतना जिले (Satna District) का जनसंख्या घनत्व 249 व्यक्ति प्रति किमी का है।
Satna की जानकारी
नीचे दी गई Table में हमें सतना ज़िला (Satna District) के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी है, इससे आपको सतना के बारे में कुछ अंदाज़ा हो जाएगा।
क्षेत्रफल | 7502 वर्ग किलोमीटर |
मुख्य भाषा | हिंदी और बघेली |
कुल जनसंख्या | 22,28,619 |
पुरुष की जनसंख्या | 11,56,734 |
महिलाओं की जनसंख्या | 10,71,885 |
कुल गाँव | 2,125 |
Satna History : सतना का इतिहास
पुरातन काल से लेकर 1857 के विद्रोह तक का सतना का इतिहास : History of Satna in Hindi
सतना शहर के पास में स्थित भरहुत (Bharhut) में दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के बौद्ध स्तूप के अवशेष हैं। इसे पहली बार 1873 में पुरातत्वविद् अलेक्जेंडर कनिंघम (Archaeologist Alexander Cunningham) द्वारा खोजा गया था। इस पुरातत्व महत्व की साइट की अधिकांश खोज भारतीय संग्रहालयों में आज भी रखी गई है।
कुछ ऐतिहासिक पुस्तकों-धर्मग्रंथों जैसे की महाभारत, रामायण और बौद्ध पुस्तकों में भी सतना का उल्लेख किया गया है। बौद्ध पुस्तकों, महाभारत में बाघेलखण्ड मार्ग को हैहाया, कलचुरी या छेदी कबीले के शासन के साथ जोड़ा गया है। इसके अलावा इनमें ये भी बताया गया है तीसरी शताब्दी के दौरान सतना (Satna) इन शासकों के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण था।
रेवाश (Rewash) के प्रमुख, बघेल राजपूतों (जो सोलंकी राजवंश के बाद के) के वंशज थे, जिन्होंने दसवीं से तेरहवीं शताब्दी तक गुजरात पर शासन किया था। कहा जाता है कि गुजरात के शासक के भाई व्याघ्र देव (Vyaghra Deo) ने उत्तर भारत में तेरहवीं शताब्दी के मध्य में अपना रास्ता बना लिया था और कालिंजर से 18 मील उत्तर-पूर्व में मराठा का किला जीत लिया था।
बांधवगढ़ (अब उमरिया जिले में इसी नाम की तहसील है), जो 1562 में अकबर द्वारा विजय प्राप्त करने तक बघेल राजधानी थी। 1298 में राजकुमार उलुघ खान ने अपने भाई सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के आदेश के तहत गुजराती के अंतिम बघेल शासक को उसके राज्य के बाहर निकाल दिया। ऐसा माना जाता है कि इसी वजह से कुछ समय बाद बघेलों का बांधवगढ़ में प्रवास हुआ था और गुजरात से बहुत ज़्यादा बघेल सतना (Satna) के बांधवगढ़ में आकर बस गए।
सतना (Satna) में आने के बाद बांधवगढ़ के बघेल तब से लेकर 15वीं शताब्दी तक अपनी संपती का विस्तार करने में लगे हुए थे और इसलिए दिल्ली सुल्तानों का ध्यान उनकी तरफ़ नही गया। इसके बाद सिकंदर लोधी ने 1498–99 में बांधवगढ़ (Bandhavgarh) के किले पर विजय प्राप्त करने में विफल रहा।
Satna Geography : सतना का भूगोल
सतना (Satna) 315 मीटर (1,352 फीट) की औसत ऊंचाई के साथ 24.34 ° N और 80.49 ° E पर स्थित है। यह स्थान डोलेमाइट खानों और चूना पत्थर के लिए प्रसिद्ध है, जो यहाँ बहुतायत में पाया जाता है, इसी की वजह से भारत की 8% से 9% सीमेंट सिर्फ़ सतना जिले में ही बनाई जाती है और यहाँ बनाई गई Cement पूरे देश के साथ विदेशों में भी भेजी जाती है.
Satna Culture : सतना की संस्कृति
सतना जिले (Satna District ) में मैहर और चित्रकूट सहित कुछ प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल हैं। सतना जिला का भरहुत नामक स्थान बौद्ध संस्कृति का एक प्राचीन शहर है, जिसके पुरातात्विक अवशेष भारत के कई संग्रहालयों और पूरे विश्व में प्रदर्शित किए जाते हैं। शहर से 16 किमी दूर रामवन में तुलसी संग्रहालय में प्राचीन काल की कई स्थानीय कलात्मक मूर्तियाँ हैं।
बिरसिंहपुर-सेमरिया स्थित गाबीनाथ भगवान शिव मंदिर इस क्षेत्र का एक प्रसिद्ध और पुराना शिव मंदिर है। सतना रेलवे स्टेशन से लगभग 7 किमी दूर माधवगढ़ किला, सतना के आसपास घूमने के लिए एक और बढ़िया जगह है। न्यू देवराजनगर के गिधाकूट (गिधिला) पर्वत, लक्ष्मीनारायण मंदिर, बड़ा मंदिर भी सतना के कुछ मुख्य पर्यटक स्थल हैं।
Satna Economy : सतना की अर्थव्यवस्था
सतना (Satna) भारत के चूना पत्थर की बेल्ट में स्थित है। इसी वजह से सतना (Satna) आज के समय में देश के कुल सीमेंट उत्पादन में लगभग 8 से 9 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। सतना (Satna) में डोलोमाइट और चूना पत्थर बहुत ज़्यादा पाया जाता है, इसी वजह से सतना में सीमेंट का उत्पादन और निर्यात करने वाली दस सीमेंट फैक्ट्रियां हैं।
सतना में स्थित विद्युत केबल कंपनी “यूनिवर्सल केबल्स” देश में अग्रणी है। सतना की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से सिमेंट पर ही निर्भर है। हालाँकि सतना शहर (Satna City) को आज बघेलखंड की व्यावसायिक राजधानी (Commercial Capital of Baghelkhand) के रूप में जाना जाता है। देश के कई प्रतिष्ठित औद्योगिक घराने अब सतना (Satna) में निवेश कर रहे हैं, जिससे अब शहर के लिए विकास का नया रास्ता दिखाई देने लगा है।
उदारीकरण के बाद (1993 के बाद) से सतना (Satna) शहर के विकास में तेजी देखी गई है। शहर में होने वाली प्रमुख समस्याओं में शामिल है : अपर्याप्त बिजली, खराब सड़क की स्थिति (हालाँकि सतना शहर की सड़कों में अब काफ़ी सुधार आ चुका है और आप बिना धक्का लगे स्मूथ ड्राइविंग कर सकते हैं), और सीमेंट कारखानों से होने वाला वायु प्रदूषण, हालाँकि यह ज़्यादा नही होता है ना ही आम जनता को इससे कोई परेशानी होती है।